धार्मिक मान्यता
वैज्ञानिक कारण
यदि इस पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो दोनों नवरात्र ऋतु संधिकाल में आते हैं यानी जब दो ऋतुओं का समागम होता है। उस दौरान शरीर में वात, पित्त, कफ का समायोजन घट बढ़ जाता है। रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो जाता है। ऐसे में इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए नौ दिन माता के पूजन व व्रत करके अनुशासन युक्त जीवन जीने से शरीर की साफ सफाई होती है। ध्यान से मन की शुद्धि होती है और हवन से वातावरण शुद्ध होता है और हमारी इम्यूनिटी बढ़ती है।
चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि
– चैत्र नवरात्रि के दौरान कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व है, जबकि शारदीय नवरात्रि के दौरान सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है. ये दिन शक्ति स्वरूप माता की आराधना के दिन माने गए हैं. चैत्र नवरात्रि का महत्व महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में अधिक है, जबकि शारदीय नवरात्रि का महत्व गुजरात और पश्चिम बंगाल में ज्यादा है. शारदीय नवरात्रि के दौरान बंगाल में शक्ति की आराधना स्वरूप दुर्गा पूजा पर्व मनाया जाता है. वहीं गुजरात में गरबा आदि का आयोजन किया जाता है.
– चैत्र नवरात्रि के अंत में राम नवमी आती है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म राम नवमी के दिन ही हुआ था. जबकि शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन महानवमी के रूप में मनाया जाता है. इसके अगले दिन विजय दशमी पर्व होता है. विजय दशमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का मर्दन किया था और प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था. इसलिए शारदीय नवरात्रि विशुद्ध रूप से शक्ति की आराधना के दिन माने गए हैं.
– मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि की साधना आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली है. वहीं शारदीय नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है.
नियम
3. जो व्रत रखते हैं, उनको दूसरों के बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए और न ही कोई गलत कार्य करना चाहिए. जब आप मन, कर्म और वचन से शुद्ध होंगे, तो सकारात्मकता का प्रभाव बढ़ेगा. व्रत सफल होगा.
4. नवरात्रि के समय में लहसुन, प्याज आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए. 10 दिनों तक इससे दूर रहें.
5. जो लोग व्रत रखते हैं, उनको जमीन पर सोना चाहिए. यदि कोई समस्या है तो आप लकड़ी की चौकी पर सो सकते हैं, खाट का प्रयोग न करें.
6. नवरात्रि के समय में बाल, दाढ़ी, नाखून आदि को काटने से बचना चाहिए.
7. नवरात्रि का व्रत रखने वाले व्यक्ति को काम-वासना, लोभ, मोह, क्रोध, द्वेष आदि जैसे दुर्गुणों से दूर रहकर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
8. नवरात्रि के नौ दिनों में आपको दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित तौर पर करना चाहिए. चाहें आप 9 दिन व्रत रहें या चढ़ती-उतरती व्रत रखें.
9. जो लोग पान, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन करते हैं, वे लोग नवरात्रि में इससे परहेज करें.