What is Dharm

What is Dharm

हमारे ही पड़ोसी थे।पति पत्नी और दो बच्चे अभय और लड़की हंसिनी। दोनो बच्चे क्रमशः हाईस्कूल और सिक्स्थ स्टैण्डर्ड मे एक नामी गिरामी अंग्रेजी स्कूल मे जाते थे। फर्राटे से अंग्रेजी बोलते थे।पर पड़ोसी खन्ना साहब और पत्नी अमृत जी की एक आदत हम सबको कुछ अजीब लगती थी।

खन्नासाहब बैंक की नौकरी से सेवामुक्त हुये थे।अमृत जी भी पायलट थी पर अब सेवामुक्त हो चुकी थी।आधुनिक रहन सहन था।पर रोज सुबह उनके घर से अगरबत्ती की मीठी सुगंध के साथ गायत्री मंत्र और घंटी शंख की आवाजें आती थी।पड़ोसी थे अतः आना जाना होगया।उनका नियम थाकि प्रातःपांच बजे उठ सूक्ष्म व्यायाम कर नित्यकर्म निवृत्त हो गायत्री मंत्र का कैसेट लगा ध्यान करते थे।और घंटी बजा शंखनाद कर आरती कर सभी रोली तिलक लगाते थे तब प्रातः अल्पाहार कर बच्चे स्कूल जाते थे पत्नी गृहकार्य मे व्यस्त हो जाती और पति दर्शन धर्म की पुस्तके पढने बैठ जाते थे।मुझे उनकी दिनचर्या बहुत भाती थी।

 

मैने एक दिन खन्ना साहब से पूछा आप इतना धार्मिक साहित्य क्यों पढ़ते हैं ।तब खन्ना साहब ने बताया कि उनके माता पिता भी कामकाजी थे।घर मे माता पिता और पुत्र के अलावा और कोई नही था

इसीसे घर मे बचपन मे खन्ना साहब को एकाकी बचपन मिला। तीज त्यौहार पूजापाठ क्या होता है उन्हे पता ही नही था। माता पिता को यह समय पैसे की फिजूल खर्ची और दकियानूसी लगता था।

जब खन्नासाहब की पढ़ाई आरंभ हुई तो उन्हे होस्टल भेज दिया गया।वहां उनके समवयस्क दोस्त तीज त्यौहार पर बुलाते थे तो उन्हे अजीब लगता था। पर वर्गविशेष के दोस्तों कीअपनी आस्था के प्रति कट्टरता अच्छी लगती थी। सबका क्रिसमस ईद बकरीद मनाना अच्छा लगता था। होली उन्हे हुड़दंग और दीवाली पौल्यूशन नजर आती थी। लेदेकर वे ऐसे युवक थे जिसकी अपनी कोई धार्मिक सांस्कृतिक पहचान ही नही थी। उनका रूममेट सुशील पढने मे तेज पर साधारण परिवार का था। वह मंगलवार का व्रत रखता था और गले मे एक कालेधागे मे हनुमान जी का लाकेट पहनता था। खन्ना साहब को वह बड़ा लोअर स्टेटस का और दकियानूस लगता था पर वह पढने मे तेज था और होस्टल मे जब कभी तबियत खराब होती या नोट्स की जरूरत होती तो वही काम आता था।उसका दिल रखने के लिये कभी कभी हनुमान मंदिर भी जाना होता था। खन्ना साहब कभी मंदिर के अंदर नही जाते थे बाहर ही टहल कर समय बिताते थे! सुशील कहता भी तो टाल जाते थे।

एक दिन उनके जिगरी विजातीय दोस्तों का देर रात मस्ती का प्रोग्राम था। उसमे कुछ दोस्त पीकर बहक गये और उन्होने हिंदू धर्म और अपने इस दोस्त की इतनी वाहियात बखिया उधेड़ी कि खन्ना साहब सह न सके पर जवाब भी नही दे सके क्योंकि इन्हे कुछ पता ही नही था। वे उठ कर अनायास हनुमानमंदिर की तरफ चल पड़े।मंदिर बंद होनेवाला था। बूढ़ा पुजारी सायं पूजा सम्पन्न कर देवताओं को विश्राम करवा पर्दा लगा घर चलपड़ा। न जाने क्यों आज खन्ना साहब का मन उसे प्रणाम करने को हुआ। उन्होने प्रणाम किया तो पुजारी ने आशीर्वाद के साथ एक बेसन का लड्डू और हनुमान जी के चरणों का पुष्प देते देते एक हनुमान चालीसा भी पकड़ा दी।और न जाने किस रौ मे बोला जो अपने धर्म संस्कृति को नही जानता वह तो मनुष्य रूप मे पशु ही है। जा इसको रोज एक बार पढ़ना और चालीस दिन बाद आना। अब भाग यहां से।

खन्ना हतबुद्धि से देखते रहे फिर होस्टल अपने कमरे मे आगये।रोक नही पाये और सारी बात सुशील को बता डाली। सुशील ने दोस्तों की सब बातों को सुना और फिर वास्तविक कथा खन्ना जी को बताई।जब खन्ना जी ने शंका की कि तुम्हे कैसे पता तो उसने रामचरित मानस और उसका हिन्दी अनुवाद इन्हे पकड़ा दिया।चालीस दिन के हनुमान चालीसा के पाठ और रामचरितमानस का स्वाध्याय!

धीरे धीरे इन्होने अपने आत्मविश्वास मे वृद्धि और विधर्मी साथियों की बातों मे अहंकार झूठ और मिथ्याअपवाद नजर आने लगा।उनका दोहरा चरित्र और अवसरवादी मित्रता समझ आगयी। इसी बीच माता पिता काआकस्मिक निधन एक दुर्घटना मे होगया।उस दुःख के अवसर परइन्हे अपने ताऊ जी चाचा दादी और चचेरे भाई बहनो से पहलीबार मुलाकात हुई।शोक के उस सागर मे इन्हे एक परिवार मिला।पहली बार परिवार का सुख मिला।दादी ने इन्हे कलेजे से लगा लिया!और पहलीबार मा का स्नेह स्पर्श क्या होता है पता चला।अब घर परिवार से नाता जुड़ातो भाई दूज रक्षाबंधन करवाचौथ सारे त्यौहारभी समझ मे आने लगे भाई बहनो ने होली की मस्ती और दिवाली की जगमग का भी अर्थ बता दिया !पढ़ाई पूरी कर बैंकिंग सर्विसेज मे अप्वाइन्टमेन्ट भी मिलगया।तभी ताई जी ने एक स्वजातीय सरकारी सेवारत जीवनसंगिनी भी तय कर दी।परिवार की सहमति से धूमधाम से विवाह हुआ।फिर जब अंशुल हंसिनी हुये तब खन्नासाहब तय कर चुके थे कि वे अपने बच्चों को अपने परिवार संस्कृति और धर्म से दूर नही होने देंगे।वे इस वैज्ञानिक प्रगतिशील संसार मे अपने धर्म और संस्कृतिके साथ अपनी स्वाभिमानी पहचान के साथ बड़े होंगे।इसीसे सायं प्रातः गायत्रीवंदनऔर छुट्टियों मे घर परिवार के पास गांव जाकर वे उस सारी कमीको पूरा करना चाहते है! 

 

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1 comment

Very nice

Anonymous

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